ढाई चाल

हजारा में बिछी राजनीतिक बिसात, रिश्ते बन गए मोहरे, दाँव पर लगी इनसानियत, एक घोर राजनीतिक कथा

सत्ता की हिस्सेदारी के लिए कुछ तबकों के बीच ठनी वर्चस्व की लड़ाई, जिनकी तरफ देश की आम जनता बड़ी उम्मीदों से ताकती रहती है।