समर प्रताप सिंह वही आम 18 साल लड़का था जिसे लड़की देखते ही इश्क हुआ था। लड़की ने हँस कर बात कर ली तो उसने हाँ समझ ली थी। फिर वही हुआ जो लड़कों के साथ होता है। समर इश्क के चक्कर में फौजी बनने चले गये और शगुन किसी और की हो गयी। ये तो आप कर्नल गौतम राजऋषि के उपन्यास ‘हैशटैग’ में पढ़ ही चुके होंगे। अब तक आप यह भी जान चुके होंगे कि हैशटैग सीरीज का अगला उपन्यास ‘इन्फॉर्मर’ आ चुका है। हैशटैग का वह घायल समर अब घातक हो चुका है। कश्मीर में उसकी पहली पोस्टिंग है और आते ही उसे इन्फॉर्मर नेटवर्क बनाने का काम मिला है। इस काम को करने के लिये उसका नाम पहचान सब बदली गयी है। इस नेटवर्क की बदौलत कश्मीर में आतंकवाद की कई बड़ी घटनाएं रोकने में समर सफल हो चुका है और उसकी यात्रा भी लेफ्टिनेंट से मेजर तक पहुँच गयी है।
कश्मीर में आतंकवाद और फौज को हमने हमेशा फिल्मकारों की नजर से देखा है, या कुछ अकादमिक लेखकों और पत्रकारों की नजर से जिनके अपने विचार किताब में नजर आते थे। इन्फॉर्मर उसी कश्मीर को एक फौजी की नजर से दिखाता है। वह फौजी जो देश के लिये अपनी भावनाओं को दिल में लिये घर से दूर, कठिन परिस्थितियों में हर पल अपनी जान दांव पर लगाये होता है, नियमों में बंधा होता है, सिस्टम से चलता है लेकिन उसका मुकाबला उनसे है जिनके साथ इनमें से कोई बंधन नहीं।
यह किताब भी हैशटैग की तरह ही रोमांच से भरपूर है। कश्मीर में हुए सेना के कई ऑपरेशन इतनी खूबसूरती से बताये गये हैं कि आपको लगेगा कि सामने चलचित्र चल रहा है। बाकी हमारे कर्नल साहब रोमांटिक शायर हैं तो किताब में रोमांस का तड़का भी है, बेबी खाना खाया वाला वाला सीन भी है, पुराने प्यार की यादें हैं और ‘उससे खूबसूरत उसकी बहन है’ वाला सीन भी है।
ये जो आखिरी लाइन है ये अक्सर मेरे साथ होता है, लेकिन समर के साथ होता देख और अच्छा लगा। हमेशा पाता हूँ कि जो लड़की मुझे पसंद आयी, जिसपर दिन लुटाये उसकी बहन या सहेली ज्यादा खूबसूरत होती है और मैं कन्फ्यूज़ हो जाता हूँ। समर को शाज़िया और रेहाना के बीच ऐसे फँसते देख बड़ी अपनी सी फीलिंग आयी। 
उपन्यास मजेदार है, पढ़ डालिये क्योंकि कुछ ही महीनों में इसका तीसरा हिस्सा ‘मिशन’ के नाम से आएगा जहाँ समर प्रताप सिंह कहीं और झंडे गाड़ेंगे।