ख़बरें हैं हिंदुस्तान का अपना GPS होगा यानि कि अब तक रास्ता ढूँढने के लिए हम अमेरिकी उपग्रहों का सहारा लेते थे और अब हिंदुस्तान के अपने उपग्रह होंगे. अब तो ISRO ने 104 सेटेलाईट भी छोड़ दिए हैं, तो मुझे लगता है कि हिन्दुस्तानी जीपीएस बहुत जल्दी सच में बदल जायेगा. वैसे इधर 104 सेटेलाईट देख चीन और पाकिस्तान कुद्बुदा रहे हैं और कह रहे हैं कि भारत ने धरती के बाद अंतरिक्ष में भी population explosion कर दिया है.
खैर इन मरदूदों को छोड़िये और ये सुनिए कि जब जीपीएस अपना होगा तो क्या क्या होगा, फायदा नुकसान सबका हिसाब है यहाँ. सबसे पहले तो एक्सेंट बदल जायेगा. GPS में आपको voice navigation के लिए एक्सेंट चुनने को कहा जाता है जिसमें नाम लिखे होते हैं जैसे एरिक, सामंथा, सविता वगैरह. इन नामों से आपको वो भाषा और एक्सेंट चुनने में सुविधा होती है जिसमें आप voice navigation चाहते हैं. हिन्दुस्तानी एक्सेंट के तौर पर सविता का आप्शन था पर अपने हिन्दुस्तानी लौंडों का ‘सविता’ नाम से कनेक्शन तो आपको पता ही है, इस चक्कर में वो रास्ता भटक जाते थे.
नए वाले GPS में लोकल एक्सेंट होगा जैसे मारवाड़ी, अवधी, भोजपुरी, मद्रासी वगैरह. एक्सेंट चुनने के जो नाम दिए जायेंगे वो भी काफी लोकल टाइप होंगे जैसे कि आप साउथ में हैं तो नाम होंगे, सुब्बू, लक्ष्मी और यूपी में हैं तो रामावतार, रामअवध, सीता, गीता वगैरह. इन नामों का एक और फायदा ये है कि ये सारे नाम संस्कारी है, सविता भाभी जैसे नहीं. सेकुलरिज्म मेन्टेन रखने के लिए फरज़ाना और सलीम को भी इन नामों में जोड़ा जायेगा, हाँ ये अलग बात है कि इमाम साहब कह दें कि फरज़ाना voice navigation बुरका पहन के ही करे.
हिन्दुस्तानी जीपीएस का फायदा सिर्फ voice में ही नहीं है बल्कि बाकी सारे फीचर भी हिन्दुस्तानी जनता के हिसाब से बनाये गए हैं. जैसे कि अभी तक सिर्फ दायें और बाएं मुड़ें टाइप की इनफार्मेशन जीपीएस देता था, अब आपको ये भी बताएगा 200 मीटर आगे सड़क में गड्ढा है, गाड़ी धीरे करें. अगर आप रात को उत्तर-प्रदेश के हाईवे पर हैं जीपीएस आपके डेस्टिनेशन तक पहुँचने का समय ही नहीं बल्कि सही-सलामत घर पहुँचने के कितने चांसेज हैं, ये भी बताएगा. इसरो के ये उपग्रहों में हाई-डेफिनिशन कैमरा लगे हैं. उत्तर-प्रदेश, राजस्थान में ये हर गाड़ी का कांच स्कैन करेंगे और किसी फार्च्यूनर या स्कार्पियो पर जाट, यादव, गुर्जर लिखा हुआ मिला तो जीपीएस आपको ओवरटेक करने से पहले सावधान कर देगा.
बिहार में इसरो ने एक कदम ज्यादा लिया है. बिहार के लिए इसरो के इन उपग्रहों को विधायक और उनके रिश्तेदारों की गाड़ियों को स्कैन करने का भी कमांड दिया है. अगर आप बिहार में किसी विधायक के बेटे, रिश्तेदार की गाड़ी को ओवरटेक करने की कोशिश करने लगे तो जीपीएस जोर जोर से वार्निंग अलर्ट बजा कर आपको रुकने को कहने लगेगा और फिर भी अगर आपने उस विधायक के रिश्तेदार की गाड़ी ओवरटेक कर ली, तो नजदीकी पुलिस स्टेशन में आपकी हत्या की सूचना ऑटोमेटेड सिस्टम से भेज देगा.
ये तो सुरक्षात्मक फीचर हो गए पर इसरो वाले जीपीएस आपकी सुविधा के और कई आप्शन देने वाला है. अभी वाले जीपीएस में places of interest के नाम पर आपके आसपास के रेस्टोरेंट, एटीएम, पेट्रोल पंप ही दिखाई पड़ते हैं पर हिन्दुस्तानी जीपीएस आपको places of interest में “कैश वाला एटीएम” बताएगा. मेरठ, मुंगेर जैसे शहरों में देसी कट्टे की दुकान दिखायेगा और अगर कानपुर में हैं तो मैप पर गुटखे की दुकान आपको दिखाई देगी.
जीपीएस चूँकि हिन्दुस्तानी है इसलिए ये ध्यान रखा गया है कि ये राष्ट्रवादी हो. जीपीएस ऑन करते ही भारत माता की जय बोलेगा और फिर आपका डेस्टिनेशन पूछेगा. अगर आप किसी सिनेमा हॉल के बाहर से ऐसे समय में निकल रहे हों जब फिल्म शुरू होने से पहले वाला राष्ट्रगान बज रहा हो तो जीपीएस माननीय कोर्ट के आदेशानुसार आपको गाड़ी से बाहर खड़े होने को भी कह सकता है और न खड़े होने की स्थिति में आपके मोबाइल पर ‘देशद्रोही’ लिखा हुआ फ़्लैश करेगा.
बताया जा रहा है कि नरेन्द्र मोदी ने इसरो को जीपीएस में स्वच्छ भारत को भी जोड़ने का प्रस्ताव दिया है. इसके तहत अगर आप कहीं सड़क पर रुक कर मूत्र विसर्जन करने लगे तो इसरो के उपग्रह आपके मोबाइल पर “गधे के पूत, यहाँ न मूत” का मेसेज फ़्लैश करेंगे.
सबसे जरूरी फीचर जो मैं बताना भूल गया. अगर आप हरियाणा में किसी भी सड़क, हाईवे से आप जा रहे होंगे तो जीपीएस आपको मोबाइल पर मेसेज फ़्लैश करेगा “You are trespassing the private property of Robert Vadra”