मेड का रंग भी गोरा हुआ है भला… मेरी मेड का भी रंग काला है. कर्वी नहीं है, वैसी ही है जैसी आम तौर पर एक औसत भारतीय नारी होती है. 2 बच्चे हैं उसके, स्कूल जाते हैं. बेटी आठवीं में और बेटा चौथी में.
रोज सुबह 7:30 पर मेरे घर आती है. मेरे घर आने से पहले वो 6:30 बजे इक्कीसवें माले के एक नौकरीपेशा दंपत्ति के घर भी जाती है इसलिए अपने घर से तकरीबन 5:45 – 6:00 बजे निकलती है.
काम करने आने से पहले अपने बच्चों के लिए नाश्ता बनाती है और लंच के लिए टिफ़िन भी. पति के लिए भी यही सब करती है.बच्चे उठें उससे पहले काम पर निकल आती है. जाने कब उठती है.
सोसाइटी में किसी ने उसे हाल ही में कहा कि अब बेटी बड़ी हो गयी है, उसे भी काम पर ले आया कर. काम जल्दी हो जायेगा और कुछ आमदनी भी. वो बोली – ‘मेरे माँ-बाप में ताकत या सूझ-बूझ नहीं थी कि मुझे इससे बेहतर जिन्दगी दे सकें पर मुझमें है. मेरे बच्चे घरों में नौकर नहीं बनेंगे.’ सोचता था उठती कब होगी पर बात सुन लगता है कि बच्चों के सपनों को पूरा करने की खातिर शायद सोती ही नहीं.
मेरे और मेरी सोसाइटी वालों के लिए वो सिर्फ एक मेड है पर अपने बच्चों के लिए वो यूनिवर्स है, मिसेज यूनिवर्स.
नोट: उसे वीरांगना कहना चाहता हूँ पर डर है इतिहास से छेड़छाड़ ना हो जाये…
#missuniverse #padmavati