आज एक दोस्त से उनकी आने वाली किताब के बारे में बात हुई जो कि एक प्रेम कहानी है। काफी देर हम लोगों की बात प्रेम कहानी के क्राफ्ट पर होती रही। प्रेम लिखना दूर से जितना सरल लगता है असल में उतना ही कठिन है। प्रेम होने से लेकर मिलन या विरह में कितना कुछ एक सा होता है और कैसे उसी में विभिन्न आयाम निकाल कर कहानी में नयापन और रोचकता लाई जा सकती है।
अब ये चांस की बात है कि लौटते टाइम मेरी गाड़ी में ‘करीब’ फिल्म का गाना ‘चुरा लो न दिल मेरा सनम’ बज रहा था। गाना तो प्यारा है ही लेकिन शायद थोड़ी देर पहले ही प्रेम कहानी पर बात हुई थी तो मेरा लीरिक्स पर कुछ ज्यादा ध्यान गया। इस गाने की लाइंस को सुनते हुए लगा कि ये गाना अपने आप में ही पूरी प्रेम कहानी है। मस्ती, चुहल, निवेदन, नाराजगी और फिर उसकी हाँ… सब कुछ एक ही गाने में।
गाड़ी में गाने चूंकि पेन ड्राइव से चल रहे थे तो अगला गाना D से आया और ये भी एक प्रेम कहानी की शुरुआत का ही प्लॉट था – ‘दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके-चुपके, सबको हो रही है खबर चुपके-चुपके’। 90 के दशक में लड़की के घर के बाहर साइकिल से चक्कर मारता लड़का और खिड़की से उसे देखती लड़की सोचते कि उन्हें कोई नहीं देख रहा लेकिन सच ये था कि – सबको हो रही है खबर चुपके-चुपके।
खैर ये तो शुरुआत थी लेकिन ‘चुरा लो न दिल मेरा सनम’ का जवाब नहीं। लॉर्ड बॉबी देओल और नेहा दोनों ही क्या प्यारे लगे हैं इसमें। गाना सुनते हुए फिल्म के दृश्य भी याद आ गए और इस गाने का फिल्मांकन भी। सब कुछ इतना सिम्पल है और ये गाना तो घर के गार्डन और किचन में शूट किया हुआ है। प्रेम के बीच ही नल खुला है, सब्जी कट रही है, बन रही है, जल भी रही है और गाने में सबका जिक्र यूं आता है कि सब्जी का जलना भी प्रेम ही लगने लगता है।
घर पहुंचते हुए 3 बार इसी गाने को रीवाइन्ड करके सुना और घर पहुँचने पर यूट्यूब पर इसे 3 बार देख चुका हूँ। ये पोस्ट भी लिखते वक्त वही लाइन कान में बज रही है –
‘तेरा दीवानापन है ये, ओ बेखबर किचन है ये,
ये क्यों यहाँ उठा धुआँ, क्या जाने क्या जल गया,
कि तेरे बिन न जी सकेंगे, कि तेरे बिन न मर सकेंगे,
चुरा लो न दिल मेरा सनम…’
दिल करे तो आप भी यूट्यूब पर गाना सुनिये। अगर कोई गाना पूरी कहानी लगे तो कमेंट में बताइए।