साल 2018 के अंत या 2019 की शुरुआत की बात है। डॉ. मनमोहन सिंह के लेखों और भाषणों का 6 वॉल्यूम का संकलन ‘changing india’ के नाम से ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस से आया था और मार्केटिंग हेड मैं ही था। उस वॉल्यूम का लॉंच इवेंट हुआ। इवेंट के बाद IIC में ही उनके परिवार के साथ हमारी टीम के सदस्यों का प्राइवेट डिनर था। इस डिनर में हमारी टीम के वो सदस्य जिन्होंने किताब पर काम किया वो शामिल थे और मनमोहन सिंह जी की पत्नी और तीनों बेटियाँ शामिल थी।
मनमोहन सिंह जी की सबसे छोटी बेटी इस कार्यक्रम के लिए अमेरिका से आई थी। जब कार्यक्रम समाप्त हुआ तो मनमोहन सिंह जी को तो प्रोटोकॉल में जाना था। वह चिंतित हो उठे कि छोटी वाली कैसे जायेगी। ये बता दूं कि सबसे छोटी बेटी मेरी ही उम्र की है। वह उन्हें आश्वस्त कर रही थी कि मैं चली जाऊंगी लेकिन उन्हें चिंता थी कि छोटी है, बाहर रहती है।
हम लोगों को लगता है कि इतने बड़े लोग जाने कैसे रहते होंगे? उन्हें क्या हम लोगों जैसी कोई चिंता होती होगी? हम भूल जाते हैं कि वो भी इंसान हैं। मनमोहन सिंह पूर्व प्रधानमंत्री होते हुए भी आम इंसान थे। एक पिता के तौर पर उनकी अपनी सबसे छोटी बेटी जो लगभग 40 साल की थी, चिंता थी कि देर हो गयी, घर कैसे जाएगी।
सबसे बड़ी बेटी उपिंदर कौर ने कहा कि आप चिंता मत करो। हम छोड़ देंगे। बड़ी बेटी के ऐसा कहने के बाद ही मनमोहन सिंह जी निश्चिंत हुए और आगे गए।
मनमोहन सिंह हमेशा देश के सर्वाधिक योग्य और सौम्य प्रधानमंत्री के तौर पर याद रखे जाएंगे। नमन। 🙏